कराची: पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों के प्रांगण में हर साल मोहर्रम के लिए ताजिया हिंदू लोग तैयार करते हैं। इस बार भी हिंदुओं के बनाए मोहर्रम के नौवें और 10वें दिन निकाले जाने वाले आशूरा के जुलूस का अहम हिस्सा होते हैं। मोहर्रम में करबला में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद किया जाता है।
पुराने कराची शहर इलाके में दो प्राचीन हिंदू मंदिरों में हिंदू समुदाय पूरे जोश एवं उत्साह से ताजिया बनाता है। ये ताजिया पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों का प्रतिरूप होते हैं और आशूरा के जुलूस का अभिन्न हिस्सा होते हैं। कराची के हिंदू बहुल नारायणपुरा इलाके के एक हिंदू ने कहा कि हम पिछली तीन पीढ़ियों से ये ताजिया बना रहे हैं और इस पर हम गर्व महसूस करते हैं।
अकबर रोड पर कुछ मील दूरी पर बने 100 साल पुराने मरीमाता मंदिर के प्रांगण में हर साल हिंदू समुदाय शानदार ताजिया बनाने के लिए दिन-रात काम करता है।