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लखनऊ: प्रदेश सरकार में सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बयानबाजी अब भाजपा के लिए असहनीय होती जा रही है। सियासी सुगबुगाहट जोर पकड़ रही है कि कहीं उनका बड़बोलापन एनडीए से उनकी रुखसती का सबब न बन जाए। वहीं मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के बयानों के बाद भी ओमप्रकाश राजभर के तेवर वैसे ही तल्ख हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को अहंकार हो गया है। 50 साल तक सत्ता में रहेंगे। अहंकार तो महाबली रावण का भी टूट गया था।

ओपी राजभर ने कहा है कि इस अहम के कारण ही उपेंद्र कुशवाहा, रामविलास पासवान और शिवसेना भाजपा से नाराज है। यह भी कहा कि उन्हें गठबंधन से निकाले जाने का कोई खौफ नहीं है। वह उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब भाजपा उन्हें गठबंधन से निकाल दे। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण में बंटवारे पर भाजपा नेता चुप्पी साधे हुए हैं। जिन पिछड़ी जातियों का वोट लेकर सत्ता में आए उनको क्या जवाब देंगे?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य संगठन के साथी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर को हद में रहने की नसीहतों दी है। इसे उनके संकट में घिरने से जोड़कर देखा जा रहा है। राजनीतिक गलियारे में तो यह भी चर्चा होने लगी है कि ओमप्रकाश राजभर शायद ही भाजपा के मिशन 2019 में सहयोगी रहें। यदि इन्होंने भाजपा के खिलाफ बोलने से परहेज नहीं किया तो भाजपा इनसे दूरी भी बना सकती है।

भाजपा शीर्ष टीम ने हाल के दिनों में राजभर द्वारा मंदिर मुद्दे और भाजपा के बड़े नेताओं के हिन्दू-मुस्लिम रिश्तों पर की गई बयानबाजी को न केवल गंभीरता से लिया है बल्कि गहरी नाराज़गी जताई है। हालांकि पार्टी सूत्रों का दावा है कि भाजपा मिशन-2019 को ध्यान में रखते हुए किसी भी सहयोगी दल को खोना नहीं चाहती है। पार्टी संगठन के एक बड़े नेता ने इस पर कहा कि राजभर को गठबंधन से हटाने का मुद्दा अभी तक पार्टी एजेंडे में नहीं है।

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