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नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वह राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन उनके संक्षिप्त नाम से नहीं, बल्कि पूरे नाम से करता है। जस्टिस सी. हरिशंकर ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए अगले साल 22 फरवरी की तारीख तय की है। वकील अनुपम श्रीवास्ताव की ओर से दायर की गई इस याचिका में दावा किया गया है कि नई पार्टी का नाम मतदाताओं में भ्रम पैदा कर सकता है। दरअसल, ''आपकी अपनी पार्टी (पीपुल्स) का एक राजनीतिक दल के रूप में रजिस्ट्रेशन के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) ने आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था।

इस फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिस पर आयोग ने अदालत में यह दलील दी है। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस नई पार्टी का रजिस्ट्रेशन इस आधार पर खत्म करने की मांग की है कि इसका भी संक्षिप्त नाम ''आप'' होगा, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति हो सकती है।

चुनाव आयोग के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि आयोग राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन उनके पूरे नाम से करता है ना कि संक्षिप्त नाम से, इसलिए इससे कोई भ्रम नहीं होगा। इससे पहले, ''आपकी अपनी पार्टी (पीपुल्स) के वकील ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा।

वहीं, आम आदमी पार्टी के वकील ने भी चुनाव आयोग के जवाब पर प्रति उत्तर दाखिल करने के लिए वक्त मांगा। चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कई पार्टियों की सूची दी, जिनके संक्षिप्त नाम एक जैसे हैं। साथ ही, कहा कि जब आम आदमी पार्टी का पंजीकरण 2013 में हुआ था तब एक अन्य पार्टी उसके संक्षिप्त नाम से पहले से पंजीकृत थी।

आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के 16 जुलाई के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसके जरिये आपकी अपनी पार्टी (पीपुल्स) के पंजीकरण के खिलाफ उसकी आपत्ति खारिज कर दी गई थी।

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