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नई दिल्ली: हिंदी के प्रख्यात कवि, वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार एवं दिल्ली हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष विष्णु खरे का बुधवार को दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे। बीते 12 सितंबर को ब्रेन हैम्रेज के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ब्रेन हैम्रेज के समय वे घर में अकेले थे। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें अस्पताल के आईसीयू में रखा गया था जहां वह कोमा में चले गए थे और डॉक्टर लगातार उनकी निगरानी कर रहे थे। खरे के निधन की खबर मिलते ही मुंबई से उनके परिजन दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। उनकी मृत्यु पर साहित्य जगत से जुड़े बड़े लोगों ने अपनी संवेदना प्रकट की है।

30 जून को ही संभाला था अपना कार्यभार

ज्ञात हो कि दिल्ली सरकार ने उन्हें इसी साल हिंदी अकादमी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्होंने 30 जून को ही अपना कार्यभार संभाला था। इससे पहले वह मुंबई में रहते थे, लेकिन गत दिनों दिल्ली हिंद अकादमी का उपाध्यक्ष बनने पर वह कुछ दिनों से दिल्ली ही रहने लगे थे। हिंदी अकादमी की 18 सदस्यीय संचालन समिति के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं।

 

अंग्रेजी साहित्य में किया था एमए

09 फरवरी 1940 को मध्य प्रदेश में जन्मे विष्णु खरे ने इंदौर के क्रिश्चन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया था और वह 1962-63 में दैनिक इंदौर में उप-संपादक थे। फिर 1963 से 1975 तक अध्यापन कार्य से जुड़े रहे। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे और इसके बाद साहित्य अकादमी में उप सचिव भी रहे। इसके बाद वह दिल्ली में नव भारत टाइम्स के सहायक सम्पादक तथा इसी अखबार के लखनऊ और जयपुर संस्करण के संपादक भी रहे। उनकी चर्चित पुस्तकों में सब की आवाज के पर्दे में, खुद अपनी आंख से तथा आलोचना की पहली किताब शामिल हैं।

खरे ने विश्व के प्रसिद्ध कवियों और लेखकों की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया था तथा उनकी ख्याति एक प्रमुख फिल्म समीक्षक के रूप में भी थी। उन्हें 'नाईट ऑफ दि ह्वाईट रोज' सम्मान, हिन्दी अकादमी सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य शिखर सम्मान और रघुवीर सहाय सम्मान मिल चुका था।

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