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किशनगंज: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में पीएम मोदी और नीतीश कुमार की दोस्ती को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, ''पीएम मोदी और नीतीश कुमार के बीच प्यार लैला-मजनू से भी ज्यादा मजबूत है।'' बिहार के किशनगंज में चुनावी जनसभा संबोधित करते हुए उन्होंने कहा "दोनों के बीच का प्यार बहुत मजबूत है। यह लैला-मजनू के प्यार से भी ज्यादा मजबूत है। जब भी नीतीश कुमार और पीएम मोदी के प्यार को लिखा जाएगा तो मुझसे मत पूछना कि इन दोनों में लैला कौन है और मजनू कौन? इसका निर्णय आप करें।"

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं जिसमें से 17-17 सीटों पर भाजपा और जनता दल यूनाइटेड चुनाव लड़ रही हैं। शेष 6 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी के खाते में गई हैं। बता दें कि बिहार की किशनगंज, पूर्णियां और कटिहार जैसी सीमांचल की सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान है। किशनगंज में अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद को देखते हुए ओवैसी इस इलाके में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यहां से उन्होंने पूर्व विधायक अख्तरुल इमान को टिकट दिया है।

यह पहली बार नहीं है कि असदुद्दीन ओवैसी ने ऐसा बयान दिया है। इससे पहले भी वह अपने बयानों के कारण सुर्खियों में बने रहे हैं।

तीन बार से सांसद हैं

ओवैसी असदुद्दीन ओवैसी का जन्म 13 मई 1969 को हुआ था। सियासत उन्हें पिता से विरासत में मिली और आज इसे अपने अंदाज में आगे भी बढ़ा रहे हैं। उनकी कोशिश हैदराबाद से बाहर निकलकर दूसरे राज्यों में पैर फैलाने की है। वह लगातार तीन बार से हैदराबाद के सांसद हैं।

1994 में राजनीति में उतरे

ओवैसी ने अपने राजनीति की शुरुआत 1994 में आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरकर की। उन्होंने हैदराबाद के चारमीनार से मजलिस बचाओ तहरीक के उम्मीदवार को 40 हजार वोटों से हराकर चुनाव जीता। ये सीट एमआईएम के पास 1967 से ही थी। फिर 1999 चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी के सैयद शाह नुरुल हक कादरी को 93 हजार वोटों से हराया। 2004 चुनाव में उन्होंने पिता की जगह हैदराबाद से लोकसभा चुनाव जीता।

एआईएमआईएम 80 साल पुराना संगठन

एआईएमआईएम करीब 80 साल पुराना संगठन है जिसकी शुरुआत एक धार्मिक और सामाजिक संस्था के रूप में हुई थी। लेकिन बाद में यह एक राजनीतिक पार्टी में तब्दील हो गई जो हैदराबाद में एक बड़ी ताकत बन चुकी है। हालांकि इस संगठन पर 1957 में बैन भी लगा था। हैदराबाद की सियासत पर चर्चा उनका और उनकी पार्टी का जिक्र किए बिना नहीं हो सकता। हैदराबाद की लोकसभा सीट पर एमआईएम का कब्जा 1984 से ही रहा है। हैदराबाद के मेयर भी इसी पार्टी के हैं।

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