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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फपुर आश्रय गृह यौन शोषण कांड से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को बिहार पुलिस से कहा कि भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद होने के मामले में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा से पूछताछ की जाये। मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन शोषण मामले के बीच, वर्मा को बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस आश्रय गृह में कई महिलाओं से बलात्कार हुआ था। इस मामले की जांच की प्रगति के बारे में सीबीआई की रिपोर्ट पढने के बाद शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिया।

इस रिपोर्ट में कहा गया कि चंद्रशेखर वर्मा और उनकी पत्नी के कब्जे में बड़ी मात्रा में गैरकानूनी हथियार थे। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ''हम स्थानीय पुलिस से इस मामले पर गौर करने की उम्मीद करते हैं। पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जांच सही दिशा में चल रही है। पीठ ने आयकर विभाग से उस गैर सरकारी संगठन तथा इसके मालिक ब्रजेश ठाकुर की संपत्तियों पर गौर करने को भी कहा जो आश्रय गृह संचालित करता है।

पीठ ने राज्य सरकार को आश्रय गृह से आठ लड़कियों को स्थानान्तरित करने के मामले में एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने सीबीआई को चार सप्ताह के भीतर इस मामले की जांच पर अगली स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दायर करने का भी निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को इस मामले की जांच के लिए नई सीबीआई टीम गठित करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।

न्यायालय ने कहा था कि ऐसा करना न सिर्फ अब तक की जांच बल्कि पीडि़तों के लिये भी नुकसानदेह होगा। उच्च न्यायालय ने 29 अगस्त को आदेश दिया था कि इस मामले में सीबीआई के विशेष निदेशक द्वारा जांचकर्ताओं की नई टीम गठित की जाए। यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा संचालित आश्रय गृह में महिलाओं के कथित बलात्कार और यौन शोषण की घटनाओं से जुड़ा मामला है। इस मामले में ठाकुर सहित 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गयी थी।

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