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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई 26 फरवरी को होगी। जजों की पांच सदस्य बेंच में शामिल जस्टिस एसए बोबडे छुट्टी से लौट आए हैं। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच करेगी। बेंच में जस्टिस बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल हैं। ये सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर होगी। चीफ जस्टिस ने 25 जनवरी को अयोध्या विवाद की सुनवाई के लिए बेंच का पुर्नगठन किया था। पुनर्गठन में जस्टिस एनवी रमण को शामिल नहीं किया गया है।

क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2-1 के बहुमत के फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर बांटा जाए। इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना। फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। बीते आठ साल से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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