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नई दिल्ली: वित मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखा प्रहार करते हुये कहा कि वह मोदी सरकार द्वारा 15 उद्योगपतियों का 2.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने के बारे में 'झूठ बोल रहे हैं।' राहुल गांधी अपनी रैलियों में लगातार मोदी सरकार पर इस तरह के हमले कर रहे हैं। जेटली ने अपने फेसगुक ब्लॉग में राहुल गांधी के इस तरह के आरोपों का जवाब देते हुये कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार ने किसी भी कर्जदार का एक रुपया भी माफ नहीं किया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों से कर्ज लेकर उसे नहीं लौटाने वाले 12 कर्जदारों को 2014 से पहले कर्ज दिया गया। मौजूदा सरकार उनसे इसकी वसूली कर रही है। उन्होंने कहा कि आज ऐसे लोगों को अपनी कंपनी से हाथ धोना पड़ रहा है। कर्ज की वसूली के लिये उनकी कंपनी और संपत्तियों की नीलामी की जा रही है।' जेटली ने कहा, 'आपने राफेल पर झूठ बोला, आपने बैंकों के एनपीए पर झूठ बोला। तथ्यों को गढ़ने की आपकी सोच से एक वैध सवाल खड़ा होता है। ऐसे लोग जो झूठ बोलना ही पसंद करते हैं, क्या वे सार्वजनिक बहस में शामिल होने लायक हैं।'

फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर राहुल गांधी लगातार नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने जिस कीमत पर राफेल विमान का सौदा तय किया था मोदी सरकार ने उसके तीन गुना से अधिक दाम पर यह सौदा किया। इसके अलावा राहुल गांधी यह भी आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी सरकार ने बैंकों का 2.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया है।

जेटली ने आरोपों का जवाब देते हुए अपने ब्लॉग में लिखा, 'कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संप्रग सरकार ने कर्जदारों के डिफाल्ट होने के बावजूद नया कर्ज देकर उसे छुपाया है। ऐसा कर संप्रग सरकार ने एनपीए और फंसे कर्ज की हकीकत पर पर्दा डाला। राहुल गांधी जी, सच्चाई यह है कि आपकी सरकार ने बैंकों को लुटने दिया। कर्ज प्रस्तावों को ठीक से नहीं जांचा गया। आपकी सरकार की इसमें मिली-भगत थी।' साथ ही उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह 'झूठ गढ़ते हैं और उसे बार दोहराते हैं और तब तक दोहराते रहते हैं जब तक कि वह वापस वहीं नहीं पहुंच जाते जो बातें उन्होंने राफेल सौदे को लेकर इन्हीं आरोपों का विरोध करते हुये पहले कही थी।

परिपक्व लोकतंत्र में जो झूठ पर निर्भर रहते हैं उन्हें सार्वजनिक जीवन के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। कईयों को सार्वजनिक जीवन से हाथ धोना पड़ा है क्योंकि वह झूठ बोलते हुए पकड़े गए। लेकिन यह नियम राजवंशी पार्टी कांग्रेस जैसे एक बड़े संगठन के ऊपर लागू नहीं होता है।' वित्त मंत्री ने कहा, '2015 में रिजर्व बैंक ने बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा की थी। इस समीक्षा में जो सामने आया वह यह कि बैंकों का एनपीए वास्तव में 8.96 लाख करोड़ रुपये था। वास्तविक एनपीए को छुपाया गया।

पिछली संप्रग सरकार ने कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे बैंकों के कर्ज की वसूली हो सके या फिर एनपीए कम किया जा सके।' उन्होंने कहा कि 2014- 15 के बाद बैंकों का एनपीए इसलिये नहीं बढ़ा कि ज्यादा कर्ज दिया गया बल्कि इसलिये बढ़ा कि बकाये पर ब्याज का बोझ बढ़ गया। कई डिफाल्टर कर्जदारों के कर्ज को दूसरी बार पुनर्गठित किया गया ताकि उनका एनपीए छुपा रहे।

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