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नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव केस में वाम विचारकों की गिरफ्तारी का विरोध करने वाली रोमिला थापर तथा अन्य की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों से लिखित जवाब सोमवार तक दाखिल करने के लिए भी कहा है। वहीं अदालत ने सभी वाम विचारकों की नजरबंदी की सीमा को सोमवार तक बढ़ा दिया है। भीमा कोरेगांव मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से एएसजी तुषार मेहता पुलिस के दस्तावजों को कोर्ट के सामने रखा।

उन्होंने कहा कि प्रकाश चेतन और साईबाबा एक ही आदमी के नाम हैं। वो न केवल हिंदी जानता है बल्कि हिंदी में भाषण भी देता है। चिट्ठी में कई षड्यंत्रों का ज़िक्र है। ईआरबी मीटिंग यानि ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो की मीटिंग का भी ज़िक्र है। आरोपियों से मिले दस्तावेज़ों में कई जगह ऐसी गम्भीर बातें हैं, जिन्हें कोर्ट में बोलकर पढ़ना उचित नहीं है। आरोपियों के पत्राचार में कई कोड है। मसलन एलआईसी यानि लो इंटेंसिटी कॉम्बैट का ज़िक्र है। जस्टिस खानविलकर ने पूछा जो मैटेरियल पुलिस ने इकट्ठा किया है, उसका गिरफ्तार लोगों से क्या संबंध है?

इस पर वकील तुषार ने कहा कि ऐसे बहुत सबूत और दस्तावेज हैं जो अपराध साबित करते हैं। इस तरह सुप्रीम कोर्ट आना कानून व्यवस्था का दुरुपयोग है। आरोपी राहत के लिए इस अदालत नहीं आए। अब जून में गिरफ्तार आरोपी ने हस्‍तक्षेप याचिका दाखिल कर खुद की रिहाई की मांग की है, जो गैर कानूनी हिरासत में नहीं बल्कि न्यायिक हिरासत में हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि रिपब्लिक चैनल ने सुधा भारद्वाज की लिखी कथित एक चिट्ठी दिखाई, लेकिन सुधा ने इससे इनकार किया और लीगल नोटिस भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष से सोमवार तक लिखित जवाब देने को कहा है। तब तक सभी हाउस अरेस्ट रहेंगे।

आनंद ग्रोवर ने चिट्ठियों पर सवाल उठाया है। इनमें हिंदी के साथ खालिस मराठी शब्दों का इस्तेमाल किया गया। सुधा भारद्वाज हिंदी जानती हैं, लेकिन उनकी चिट्ठी में मराठी लिखी गई इसका मतलब चिट्ठी जिसने लिखी वो मराठी जानता है। जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि मराठी में कुछ शब्द खास हैं जैसे जवाबदारी, देवनागरी में चंद्रमा का इस्तेमाल नहीं होता लेकिन मराठी में होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की केस डायरी तलब की। डायरी देते हुए तुषार मेहता बोले ये मराठी में है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम मराठी समझ लेंगे। वकील हरीश साल्‍वे ने कहा कि हमारी न्यायपालिका पहले से मजबूत है। सिंघवी ने कहा कि एनडीटीवी की चिट्ठियों को लेकर खबर का जिक्र किया है। साल्वे ने कहा कि एसआईटी जांच तब कराई जाती है, जब कोई ताकतवर राजनेता शामिल हो जैसे 2जी घोटाला।

पुलिस के सामने शिकायतकर्ता की ओर से पेश हरीश साल्वे ने कहा कि हमें ये देखना है कि किस हद तक आइडलॉजी को बर्दाश्त कर सकते हैं। ये मामला गैरकानूनी गतिविधियों का है जो अगर कोर्ट को लगता है कि इसकी ट्रेल मिल रही है तो पुलिस जांच को जारी रहने दिया जाए। अगर जांच गलत दिशा में जा रही हो तो ही एसआईटी को जांच सौपी जानी चाहिए। सीबीआई, एनआईए और पुलिस पर भरोसा नहीं करेंगे तो किस पर करेंगे। एसआईटी जांच की जरूरत नहीं है।

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